लेखनी कविता - लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले - ग़ालिब

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लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले / ग़ालिब लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले ग़ालिब ये ख़ौफ़ है कि कहाँ से अदा करूँ ख़ुश वहशते कि अर्ज़-ए-जुनून-ए-फ़ना करूँ जूँ गर्द-ए-राह जामा-ए-हस्ती ...

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